आखिर क्या वजह है की एक बड़ा समुदाय आज भी मानसिक गुलामी से आजाद नहीं हो पा रहा है...?

1. पहला कारण अज्ञानता
2. दूसरा गलत जानकारी
3. तीसरा हम स्वयं आजाद नहीं होना चाहते है।

 हम आखिर गुलाम क्यों है......?

जब हम पैदा होते है तो आजाद पैदा होते है!
फिर हम मानसिक गुलाम कैसे बनते है?

अगर हम चीन मे पैदा होते तो चीनी भाषा जानते ,
वहां की संस्कृति जानते और बुद्ध को जानते..

अगर इंग्लैंड में पैदा होते तो अंग्रेजी जानते और ईशु को मानते!

हम भारत मे पैदा हुए और यहां बहुतों के पुर्वज सैकड़ों वषों से मानसिक गुलाम थे! एवं उनको पढ़ने का अधिकार भी नहीं था लेकिन उस इतिहास को पढ़ना और समझना नहीं चाहते।

समाज गलत जानकारियां रखकर उनपर गर्व कर रहा या समझौता कर रहा है। इसलिए अज्ञानता के कारण वो मानसिक और शारीरिक गुलाम बने!

लेकिन आज सब शिक्षित हो गये है! 
फिर भी मानसिक गुलाम है और वो भी पढ़े-लिखे मानसिक गुलाम!

हमें इस गुलामी मे आनंद भी आ रहा है!
मैं मानता हूँ कि गुलामी की जड़ें बहुत गहरी है,

इसलिए हज़ारों सालों की मानसिकता एक दिन मे नही बदल सकती है.

लेकिन गुस्सा इस बात पर आता है,
कि हम खुद को बदलने की कोशिश ही नहीं कर रहे है! 

याद रखें किसी भी व्यवस्था में तबतक समाज की उन्नति नहीं हो सकती है
जबतक कि उस व्यवस्था में सभी की समान हिस्सेदारी न हो और या फिर निश्चित भागीदारी न हो!

और हिस्सेदारी, भागीदारी मांगने से नहीं मिलती है।
ऐसा लगता है कि शायद हम किसी मसीहा का इंतज़ार कर रहे है......?

हम अज्ञानी नही है, हम सब जानते है,
लेकिन हमारी स्थिति उस नशेड़ी जैसी है,

जिसे नशे का दुष्परिणाम मालूम तो होता है 
फिर भी नशे का गुलाम होता है।

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